काफी अर्सो बीत गये
कुछ् पागल पन दिमाग पर सवार नही
बस बेचारे सयाने लोगो जैसी होने लगी हुं
न आज कल रास्ता खोती हुं
न चलते चलते गिरती हुं
अनगिनत कप coffeeपिये भी काफी वक़्त हो चुका हे
हाथ मे cell phone भी तीन साल पुराना हे
सोच समझ कर खाती हुं
घर वक़्त पर आती हुं
ना कोई दोस्त जान लेने पर तुला हे
न कोई authentic दुश्मन बचा हे
कपडे सारे धुलकर अलमारी में रक्खे हुंए
किताबो के सारे पन्ने किताब से ही जुडे हुए
सब कुच अजीब साफ साफ सा हे
मेरा ही behavior एक डरावना ख्वाब हे
कितना सुकून मिलता था ३ दिन ना नहा ने के बाद
कितनी खुशी मिलती थी maths में fail होने के बाद
अभी भी ताजी हे सडसटवे अधुरे प्रेम कहानी की याद
वैसे तो साल मे १८ बार जिंदगी होती थी बरबाद
और ट्रेनें छुटा करती थी
में बारिश से मिला करती थी
उन दिनो ,धूप तकलीफ ना हुंआ करती थी
बिखरी पडी जिंदगी भी sexy लगा करती थी
अभी ना कही घर में कुडा कचरा
न दिवार पे मकडी का जाल
पागल पन से मजेदार बने कितने सारे लम्हे
पीछे छोड आई वो सारे छीछोरे साल
अब वैसे जिंदगी तो business as usual चल रही हे
कल शाम से, न जाने क्यो, मुझे मेरी ही याद आने लगी हे
कुछ् पागल पन दिमाग पर सवार नही
बस बेचारे सयाने लोगो जैसी होने लगी हुं
न आज कल रास्ता खोती हुं
न चलते चलते गिरती हुं
अनगिनत कप coffeeपिये भी काफी वक़्त हो चुका हे
हाथ मे cell phone भी तीन साल पुराना हे
सोच समझ कर खाती हुं
घर वक़्त पर आती हुं
ना कोई दोस्त जान लेने पर तुला हे
न कोई authentic दुश्मन बचा हे
कपडे सारे धुलकर अलमारी में रक्खे हुंए
किताबो के सारे पन्ने किताब से ही जुडे हुए
सब कुच अजीब साफ साफ सा हे
मेरा ही behavior एक डरावना ख्वाब हे
कितना सुकून मिलता था ३ दिन ना नहा ने के बाद
कितनी खुशी मिलती थी maths में fail होने के बाद
अभी भी ताजी हे सडसटवे अधुरे प्रेम कहानी की याद
वैसे तो साल मे १८ बार जिंदगी होती थी बरबाद
और ट्रेनें छुटा करती थी
में बारिश से मिला करती थी
उन दिनो ,धूप तकलीफ ना हुंआ करती थी
बिखरी पडी जिंदगी भी sexy लगा करती थी
अभी ना कही घर में कुडा कचरा
न दिवार पे मकडी का जाल
पागल पन से मजेदार बने कितने सारे लम्हे
पीछे छोड आई वो सारे छीछोरे साल
अब वैसे जिंदगी तो business as usual चल रही हे
कल शाम से, न जाने क्यो, मुझे मेरी ही याद आने लगी हे
1 comment:
its awesome!!!!
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